प्रतिशोध - 1 S Sinha द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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प्रतिशोध - 1

भाग - 1

कहानी - प्रतिशोध


प्लस टू की बोर्ड परीक्षा समाप्त हो चुकी थी . रूपाली अपने क्लास की कुछ लड़कियों के साथ जबलपुर के

भेड़ाघाट गयी थी .जबलपुर में रहते हुए भी उसने अभी तक नर्मदा फॉल्स नहीं देखा था .रूपाली वहीँ के संत जोसेफ स्कूल में पढ़ती थी .फॉल्स देखने के बाद वे सभी मार्बल रॉक्स की पहाड़ियों के बीच बोटिंग का आनंद ले रही थीं .


नाव रुकने के बाद भी नर्मदा की लहरों पर हल्का सा हिचकोले ले रहा था .नाव से उतरते समय रूपाली अपना संतुलन खोने से पानी में गिरने ही वाली थी कि एक लड़के ने उसे थाम कर बचा लिया .वह लड़का भी अपने कुछ साथियों के साथ बोटिंग के लिए आया था और उसी नाव में चढ़ने का इंतजार कर रहा था .


" रूपाली , तू बाल बाल बच गयी .यहाँ भी पानी कमर तक गहरा है ."


" थैंक्स यू ." रूपाली ने मुस्कुरा कर कहा


" इट्स ओके , मुझे शिवम् कहते हैं ." लड़के ने कहा


फिर शिवम् नाव पर जा बैठा और रूपाली अपने रास्ते पर चल पड़ी .


शिवम के माता पिता नहीं थे .उसका बड़ा भाई केतन उससे दस साल बड़ा था , वही शिवम् का अभिवावक था . दुर्भायवश उसकी पत्नी भी गत वर्ष हल कालकवलित हो गयी थी .केतन को तीन साल की एक बेटी थी डॉली .केतन का मुंबई में अपना एक लॉज और रेस्टोरेंट था जो काफी अच्छा चल रहा था .इधर रूपाली के पिता नहीं थे .उसकी माँ का अपना एक छोटा सा बुटीक था .


इसके दो महीने बाद नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ होटल मैनेजमेंट में एडमिशन के लिए टेस्ट देने शिवम् जबलपुर के एक स्कूल में गया था .वह एक बेंच पर अपनी सीट पर बैठा था .कुछ देर बाद बेंच की दूसरी छोर पर एक लड़की आ कर बैठी .शिवम् ने नजरें उठा कर देखा तो वह रूपाली थी .दोनों की नजरें मिलीं और मुस्कराहट के साथ एक दूसरे को हाय कहा .


तीन घंटे बाद पेपर समाप्त होने पर दोनों हॉल से बाहर आये और दोनों ने एक दूसरे से ' पेपर कैसा रहा ' पूछा .फिर दोनों अपने अपने रास्ते घर चल दिए .


जुलाई के महीने में फिर दोनों की मुलाकात नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ होटल मैनेजमेंट अहमदाबाद में हुई .दोनों ने वहां एडमिशन लिया था .दोनों में दोस्ती भी हो गयी .पर दोनों के स्वाभाव में कुछ अंतर था .शिवम् जल्द ही दोस्ती बना लेता था खास कर लड़कियों से .रूपाली के गिने चुने तीन चार दोस्त थे , लड़कों में सिर्फ शिवम् ही उसका दोस्त था . शिवम् तो रूपाली को फ़्लर्ट करना चाहता था , पर वह उसे मौका नहीं देती और इग्नोर कर देती .


कोर्स के अंतिम वर्ष में प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के लिए पांच छः महीने के लिए विद्यार्थियों को किसी अच्छे स्टार होटल में जाना पड़ता है .संयोगवश रूपाली और शिवम् दोनों गोवा के कोंडलीम बीच के निकट ही एक 5 स्टार होटल व रिसोर्ट में आये थे .अहमदाबाद कॉलेज से यही दोनों यहाँ ट्रेनिंग के लिए भेजे गए थे .दोनों को कभी भोजन विभाग , कभी ब्रुअरीज विभाग , कभी हाउस कीपिंग तो कभी फ्रोंट डेस्क रिसेप्शन पर तैनात किया जाता था .दोनों प्रायः रोज ही मिला करते . रूपाली भी अब थोड़ा फ्री हो चली थी , फिर भी अभी तक उनके बीच मात्र मर्यादित दोस्ती ही थी .


इसी बीच रूपाली की माँ का देहांत हो गया था .शिवम् उसके साथ जबलपुर गया और अंतिम क्रिया निपटा कर साथ ही लौटा था .कुछ दिन तक रूपाली काफी उदास रही थी फिर धीरे धीरे नार्मल हो चली थी .इसके कुछ दिनों बाद ही क्रिसमस था .पूरा सप्ताह और नए साल के दिन तक दोनों होटल के कार्यक्रमों में बहुत व्यस्त रहे , कभी घंटों खड़े रहना होता था .


उस दिन शिवम् और रूपाली दोनों की छुट्टी थीं .दोनों ने बहुत दिनों से गोवा की खूबसूरत बीचों का रुख नहीं किया था .इसलिए दोनों छुट्टी एन्जॉय करने गोवा के एक बीच पर गए हालांकि अभी तक बीते दिनों की थकावट से वे उभर नहीं सके थे .


थोड़ी देर बीच पर चलने के बाद दोनों एक शैक में जा बैठे .गोवा की सभी बीचों पर इस तरह के शैक , झोपड़ीनुमा ढ़ाबे होते हैं जहाँ बैठकर सैलानी कुछ खाना पीना कर सकते हैं .


शिवम् ने रूपाली से कहा " कुछ ड्रिंक ले लेते हैं . कुछ थकावट दूर होगी ."


" ओके बट मेरे लिए सिर्फ बीयर मँगवाना ."


शिवम् ने अपने लिए व्हिस्की और रूपाली के लिए बीयर और साथ में कुछ स्नैक्स आर्डर किया .वह शराब के साथ सिगरेट पी रहा था .उसने रूपाली को भी एकाध कश लेने को कहा पर उसने मना कर दिया था .कुछ देर यूँ ही शराब का दौर चला .देखते देखते रूपाली ने बीयर की पूरी बोतल खाली कर डाली .


थोड़ी देर में शिवम् की नजर काउंटर पर खड़े एक अफ़्रीकी दिखने वाले व्यक्ति पर पड़ी जो मैनेजर से कुछ लेन देन कर रहा था .उसने सूना था कि यहाँ ड्रग्स भी चलता है .उसके मन में भी एक बार ड्रग आजमाने की इच्छा हुई .इधर रूपाली पर भी नशा अपना असर दिखा रहा था .


शिवम् मैनेजर के पास जा कर बोला " मुझे भी वह चाहिए ."


मैनेजर के वह का मतलब पूछने पर वह बोला " वह , माने वो वाला सिगरेट जो अफ्रीकन दे गया है . "


" यू मीन जॉइंट , ड्रग वाला सिगरेट ." मैनेजर ने शिवम् के कान में धीरे से कहा


" यस , यस वही चाहिए ."


शिवम् सिगरेट लेकर अपनी सीट पर वापस आया .सिगरेट को सुलगा कर एक धीमा सा कश लिया .


' वाह , मजा आ गया .बहुत अच्छा टेस्ट है इसका .एक कश तुम भी लो न ." रूपाली की ओर बढ़ाते हुए कहा पहले तो रूपाली ने बार बार मना किया था .


शिवम् के बार बार टेस्ट करने की ज़िद करने पर वह बोली " अच्छा सिर्फ एक ही कश लूंगी ."


" मैं भी तो कब से यही कह रहा था ."


शिवम् ने सिगरेट अपने हाथ में ही पकड़े हुए रूपाली की होंठों पर रख दी .रूपाली ने बस एक कश लिया

और फिर ' खो , खो ' कर अलग हो गयी .


रूपाली पर नशा पहले से ही चढ़ रहा था , इस एक कश ने आग में घी का काम किया .वह कुछ बहकने लगी .बार बार खड़ी होती और लड़खड़ा कर कुर्सी पर बैठ जाती थी .वह बोली " तुमने ठीक ही कहा था . थकावट तो फुर्र हो गयी .कहाँ चली गयी वह ."


" वह अपने घर गयी , अब हम भी अपने घर चलें ."


" हाँ , चलो न . " बोल कर वह उठी और लड़खड़ा पड़ी . शिवम् ने उसे सहारा दिया .किसी तरह सहारा देकर उसे टैक्सी में बिठाया .फिर रूपाली को ले कर उसके फ्लैट के लिफ्ट तक गया .लिफ्ट से निकल कर उसे गोद में उठा कर फ्लैट में ले जाना पड़ा था .उसे बेड पर सुला दिया .


शिवम् उसे एकटक से देखे जा रहा था .रूपाली रह रह कर आँखें खोलती और बंद करती .वह बोली " इस

तरह क्यों घूर कर देख रहे हो ? "


" तुम्हें इतने करीब से ऐसी हालत में देखने का मौका पहली बार मिला है न . तुम्हारी नशीली आँखें , तीखे नाक नक़्श , शरीर की गोलाई और जिस्म के कटाव बहुत अच्छे लग रह रहे हैं. इन्हें जी भर कर देख लेना चाहता हूँ . "


" हूँ , तब यहाँ बैठ कर देखो न ." लड़खड़ाते लब्जों में बेड के पास रखी कुर्सी की ओर दिखा कर वह बोली .


थोड़ी देर शिवम् कुर्सी पर बैठ कर उसके बालों से खेलता रहा . इसके बाद रूपाली बिस्तर पर निढाल पड़ गयी . इसके बाद का कोई वाकया उसको कुछ ठीक याद नहीं रहा था .पर जब सुबह में रूपाली की नींद खुली तो उसका सर अभी भी भारी लग रहा था .शिवम् बाथरूम से निकल रहा था .वह बोला " अब उठो , दस बज रहें हैं . मैं कॉफ़ी और टोस्ट बना रहा हूँ .होटल में ड्यूटी पर भी जाना है ."


रूपाली ने चादर के अंदर अपने को अस्त व्यस्त कपड़ों में लगभग नग्नावस्था में पाया . उसे अपनी हालत पर लज्जा महसूस हुई . उसने शिवम के कपड़े भी बगल में बेड पर देखा तो पूछा “ तुम रात कहाँ सोये थे ? “


“ हाँ . पर सॉरी , कहाँ जाता ? दोनों में किसी को होश नहीं था . मैं यहाँ लेटा तो कब नींद आ गयी पता न चला .

“ उसके आगे क्या हुआ ? तुम्हारे कपड़े भी यहीं हैं . “


“ क्या हुआ होगा , कुछ भी नहीं . सच कहूं तो मुझे कुछ याद भी नहीं है . “


अन्यमन्यस्य सी रूपाली बाथ रूम गयी और कुछ देर बाद फ्रेश हो कर निकली . उसने कहा “ मुझे भी नहीं याद रात क्या हुआ होगा . पर रात भर तुम्हारे साथ सोयी रही इतना तो तय है . “


“ हाँ , पर अब मैं क्या करूँ मुझमें भी कहीं जाने की हिम्मत नहीं थी . सॉरी मुझे माफ़ कर दो . “


नाश्ते के बाद दोनों होटल अपनी अपनी ड्यूटी पर गए .लंच ब्रेक में दोनों मिले तब रूपाली बोली " कल रात तुमने मेरे साथ ऐसा क्यों किया ? "


" कल हम दोनों को होश कहाँ था ? पर इसके लिए कहो तो माफ़ी मांग चुका हूँ ."


" सिर्फ माफ़ी मांगने से नहीं चलेगा ."


" तब और क्या करना होगा ? "


" तुम्हें मुझसे शादी करनी होगी ."


" इतनी जल्दी मैं शादी नहीं कर सकता हूँ .वैसे भी मेरे पिता सामान भैया ने मेरे लिए लड़की देख रखी है . "


" तब क्या समझूँ , मैं तुम्हारे लिए मात्र शगल का जरिया थी . मैं आखिरी बार पूछ रही हूँ तुमसे .मुझसे शादी करोगे या नहीं ? " अचानक गुस्से से आरक्त हो रूपाली बोली


" नहीं .फ़िलहाल एक दो साल तो किसी से भी मैं शादी नहीं करने जा रहा हूँ ."


" ठीक है .ख़बरदार , आज के बाद तुम मुझसे बात भी नहीं करोगे . इसे हमारी दोस्ती का द एंड समझो . एक बात मुझे तुम पर भरोसा नहीं रहा और होपफ़ुल्ली कल कुछ गलत नहीं हुआ हो .अगर इसके चलते भविष्य में कुछ समस्या हुई तब तुम उसकी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते हो . "


उसके मन में शिवम् के प्रति नफरत और बदले की भावना भर गयी थी .

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क्रमशः अंतिम भाग दो में पढ़िए क्या रूपाली और शिवम फिर मिल सकते हैं !